Friday, May 7, 2010

रागरहित हुए तो एक परमात्मा का साक्षात्कार हो गया, वे निश्चिन्त हो गये। फिर उनकी मृत्यु उनकी मृत्यु नहीं है, उनका जीना उनका जीना नहीं है। उनका हँसना उनका हँसना नहीं है। उनका रोना उनका रोना नहीं है। वे तो रोने से, हँसने से, जीने से, मरने से बहुत परे बैठे हैं।

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