संसार
में कोई भी किसी का वैरी नहीं है। मन ही मनुष्य का वैरी और मित्र है। मन
को जीतोगे तो वह तुम्हारा मित्र बनेगा। मन वश में हुआ तो इन्द्रियाँ भी वश
में होंगी।
श्रीगौड़पादाचार्यजी ने कहा हैः 'समस्त योगी पुरूषों के
भवबंधन का नाश, मन की वासनाओं का नाश करने से ही होता है। इस प्रकार दुःख
की निवृत्ति तथा ज्ञान और अक्षय शांति की प्राप्ति भी मन को वश करने में ही
है।'
मन को वश करने के कई उपाय हैं। जैसे, भगवन्नाम का जप, सत्पुरूषों का सत्संग, प्राणायाम आदि।
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