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Asaram Bapu
Monday, August 27, 2012
अपनी शक्ल को देखने के लिए तीन वस्तुओं की आवश्यकता होती है – एक निर्मल दर्पण, दूसरी आँख और तीसरा प्रकाश। इसी प्रकार शम, दम, तितिक्षा, ध्यान तथा सदगुरू के अद्वैत ज्ञान के उपदेश द्वारा अपने आत्मस्वरूप का दर्शन हो जाता है।
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