skip to main
|
skip to sidebar
Asaram Bapu
Tuesday, February 1, 2011
'मैं' और 'मेरा' इन दो बांधने वाले पदों का त्याग करने वाले, मान और अपमान में समान रहने वाले, सबको समान दृष्टि से देखने वाले, दूसरे को कर्ता समझ कर उसको कुशल कर्मों के फल अर्पित करने वाले धन्य हैं
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Pages
Home
True Love
Followers
Blog Archive
►
2012
(46)
►
August
(13)
►
April
(13)
►
March
(20)
▼
2011
(11)
▼
February
(11)
हर छलकते अश्रु को कर प्यारजाने आत्मा को कौन सा नहल...
जो काम जिस समय करना चाहिए कर ही लेना चाहिए संयम और...
समय
भारत के उज्जवल भविष्य की और एक महत्वपूर्ण कदम....ज...
ब्रह्मज्ञानी
देह है घड़ा। तुम हो आकाशस्वरूप। तुम हो सागर। देह ह...
ब्रह्मचर्य
तुम चाहे कितनी भी मेहनत करो किन्तु जितना तुम्हारी ...
विनम्रता
'मैं' और 'मेरा' इन दो बांधने वाले पदों का त्याग क...
इच्छा
►
2010
(186)
►
September
(2)
►
June
(22)
►
May
(17)
►
April
(63)
►
March
(82)
About Me
Dayena Patel
View my complete profile
No comments:
Post a Comment