Tuesday, February 1, 2011

ब्रह्मज्ञानी

पहली भूमिकाः यूँ मान लो कि दूर से दरिया की ठंडी हवाएँ आती प्रतीत हो रही है ।

दूसरी भूमिकाः आप दरिया के किनारे पहुँचे हैं ।

तीसरी भूमिकाः आपके पैरों को दरिया का पानी छू रहा है ।

चौथी भूमिकाः आप कमर तक दरिया में पहुँच गये हैं । अब गर्म हवा आप पर प्रभाव नहीं डालेगी । शरीर को भी पानी छू रहा है आसपास भी ठंडी लहरें उभर रही हैं ।

पाँचवीं भूमिकाः छाती तक, गले तक आप दरिया में आ गये ।

छठी भूमिकाः जल आपकी आँखों को छू रहा है, बाहर का जगत दिखता नहीं । पलकों तक पानी आ गया । कोशिश करने पर बाहर का जगत दिखता है ।

सातवीं भूमिकाः आप पूरे दरिया में डूब गये ।

ऐसी अवस्था में कभी-कभी हजारों, लाखों वर्षों में कोई महापुरुष की होती है । कई वर्षों के बाद चौथी भूमिका वाले ब्रह्मज्ञानी पुरुष पैदा होते हैं । करोड़ों में से कोई ऐसा चौथी भूमिका तक पहुँचा हुआ वीर मिलता है । कोई उन्हें महावीर कह देते हैं ।कोई उन्हें भगवान कह देते हैं । कोई उन्हें ब्रह्म कहते हैं, कोई अवतारी कहते हैं, कोई तारणहार कहते हैं ।

उनका कभी कबीर नाम पड़ा, कभी रमण नाम पड़ा, कभी रामतीर्थ नाम पड़ा, मगर जो भगवान कृष्ण हैं वही कबीर हैं । जो शंकराचार्य हैं, राजा जनक, भगवान बुद्ध हैं वही कबीर हैं ।

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