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Asaram Bapu
Monday, June 21, 2010
जब तक आप अपने अंतःकरण के अन्धकार को दूर करने के लिए कटिबद्ध नहीं होंगेतब तक तीन सौ तैंतीस करोड़ कृष्ण अवतार ले लें फिर भी आपको परम लाभ नहींहोगा
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'उस ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर ...
मात पिता गुरू प्रभु चरणों में...............
ये जितने बुरे क्षेम हैं वह अपनेमें तो आवेंगे नहीं ...
कसौटी कसके देखो कि हम भगवान् का कितना आदर करते है...
""तू गुलाब होकर महेक,तुजे जमाना जाने...........""
सतशिष्य ......................
आत्मा-परमात्मा का ज्ञान पा ले.....................
जब तक आप अपने अंतःकरण के अन्धकार को दूर करने के लि...
शरीर अन्दर के आत्मा का वस्त्र है वस्त्र को उसके प...
जिस क्षण आप सांसारिक पदार्थों में सुख की खोज करना ...
जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है, जिन्होंने आसक्ति ...
जीवन में ऐसे कर्म किये जायें कि एक यज्ञ बन जाय। दि...
जिसका अन्तःकरण और इन्द्रियों के सहित शरीर जीता हुआ...
सदा अंतर्मुख होकर रहो। अंतर्मुख होने से हृदय में ज...
अपने अन्दर के परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास क...
जो दसों दिशाओ और तीनों कालों में परिपूर्ण है, जो अ...
जैसे, पलाश के फूल में सुगंध नहीं होने से उसे कोई प...
यदि तू निज स्वरूप का प्रेमी बन जाये तो आजीविका की ...
सयाने सज्जन अपने गुरू के चरणकमल के निरन्तर ध्यान र...
शरीर से वैराग्य होना प्रथम कोटि का वैराग्य है तथा ...
वशीकार वैराग्य होने पर मन और इन्द्रियाँ अपने अधीन ...
अपने गुरू से ऐसी शिकायत नहीं करना कि आपके अधिक काम...
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