शरीर से वैराग्य होना प्रथम कोटि का वैराग्य है तथा अहंता ममता से ऊपर उठ जाना दूसरे प्रकार का वैराग्य है ।लोगों को घर से तो वैराग्य हो जाता है, परंतु शरीर से वैराग्य होना कठिन है। इससे भी कठिन है शरीर का अत्यन्त अभाव अनुभव करना। यह तो सद्गुरु की विशेष कृपा से किसी किसीको ही होता है/
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