Monday, June 28, 2010

ये जितने बुरे क्षेम हैं वह अपनेमें तो आवेंगे नहीं और भगवान्‌ की लीलामें दूसरे में आवे तो समझे अब भगवान्‌ क्रोध के रुप में आये हैं।अब भगवान्‌ इस रोग के रुपमें आये हैं।इस प्रकार इन सारे भावों में भी भगवान्‌ का दर्शन करें।

हे नाथ ! हृदयमें आपकी लगन लग जाय। दिल में आप धँस जाओ। आपकी रुपमाधुरी आँखोंमें समा जाय, आपके लिये उत्कट अनुराग हो जाय। बस,बस इतना ही और कुछ नहीं चाहिये।

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