सबके अपने अपने हाथ में है उस रब का दिया हुआ अमूल्य जीवन......
उसे कैसा बनाना है ,उसे कैसे उन्नत करना है ,वो सब अपने अपने हिसाब से सभी कोई जनता है....
पर वैसा जीवन बनाने के लिए प्रयास नहीं किये जाते है........
प्रसन्नता ,आनंद ,माधुर्यता ,पवित्रता और खुशिया सबके जीवन की मांग है.......
बस... एक गुलाब की नाई अपने जीवन को बनाने का प्रयत्न किया जाये......
गुलाब को देखिये,उसका स्वभाव है की सदैव चारो और खुशबू फैलाना .......
वो जहा जाता है वह जगह को पूर्ण सुवासित बना देता है.......
हम सबका जीवन भी हमें चाहिए की उसी के अनुरूप बनाते जाये......
न किसी से राग,न किसी से द्वेष,न ही किसी के लिए बदले की भावना .......
सबका हित सोचे.....सदा मंगलमय चिंतन करे..........
गुलाब के फूल को सुगर पे रखो......गुड पर रखो.....
किसी भी वस्तु पर रख दो.... फिर उसकी खुशबू देखे......
कोई फर्क नहीं पड़ेगा....उसमे से गुलाब की ही सुवास आयेगी.....
ठीक उसू तरह गृहस्थ धर्म में रहते हुए रोज-रोज अनेक और भिन्न -भिन्न भांति के लोगो से मिलना पड़ता है, रिश्ता निभाना पड़ता है........
पर समाज में भी गुलाब की तरह जिए.......
किसी की क्या मजाल की तुम्हारी आत्मा मस्ती की जड़े हिला सके? अपने अपने बाल- बच्चो को भी ऐसे तो मजबूत बनाये....
की २०-२५ के ग्रुप में आपका बच्चा खड़ा हो तो भी वो अलग तैर जाना चाहिए......
उसकी एक अलग पहेचान होनी चाहिए........ बस......
उसे ऐसा बनाये की वो आगे चलकर एक गुलाब की नाई चारो दिशाओ में खुशबू ही खुशबू फैलाये...... और अपने माता-पिता और गुरुजनों का नाम रोशन करे...........
""तू गुलाब होकर महेक,तुजे जमाना जाने..........."
" हरी ॐ ...नारायण हरी......ॐ नमो भगवते वासुदेवाय..........
Monday, June 21, 2010
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय....
ReplyDeleteजरा पैराग्राफिंग पर ध्यान दें...तो पढ़ने में मजा आये!
नारायण हरी ओम
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