Thursday, March 22, 2012

वैराग्य

वैराग्य का अर्थ है कि दुनिया के किसी भी पदार्थ में मन अथवा प्रीति न हो और न वासना ही रहे| ऐसा नहीं कि हाथ में कमण्डल उठाएं, जटाएं रखवाएं, चोगा पहनें तो उसे वैराग्यवान कहा जाएगा| अन्तःकरण में यदि वासनाएं रही होंगी तो उसे वैराग्य नहीं कहा जाएगा|
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जिसका अज्ञान, कर्म और वासनाएं नाश हो जाती हैं, वह विदेह मुक्त हो जाता है| उसका फिर जन्म नहीं होता|

*** तुम अच्छा संग करोगे और सुन्दर पुस्तक पढ़ोगे तो तुम्हारे चरित्र सुधरेंगे और इस प्रकार तुम्हारा जीवन भी उच्च बनेगा|

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