Wednesday, March 21, 2012

गृहस्थ में सुखी रहने की कला - जिन बातों को याद करने से तुम्हें चिंता होती है, दुःख होता है या किसीके दोष दिखते हैं, उन्हें विष की नाईं त्याग दो । जिन बातों से तुम्हारा उत्साह, आत्मिक बल बढ़ता है, प्रसन्नता बढ़ती है उनका आदर से चिंतन करो । अपने चित्त को ऐसा झंझटमुक्त रखो कि किसीकी निंदा, द्वेष, नफरत उसको बिगाड़ न सके । किसीने आपको गाली दी और वह गाली देकर आपको दुःखी करना चाहता है तब यदि आप दुःखी हो गये तो उसका तो काम बन गया । आप तो हृदय को झंझटमुक्त बनाइये । गाली दी किसीने तो सोचो, 'वह तो आकाश में चली गयी, मेरा क्या बिगड़ता है ! और देता है तो हाड़-मांस के शरीर को देता है ।' यदि वह दोष हमारे अंदर है तो हमें निकालना चाहिए और यदि ईष्या के कारण बद-इरादे से दोषारोपण करे, कुप्रचार करे-करावे तो हमें निर्द्वन्द्व रहना चाहिए ।

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