Tuesday, April 3, 2012

मुझ को जमीन आसमान मिल गई,
साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए ।
मुझ को जमीन आसमान मिल गई,
साईं क्या मिले हर ख़ुशी मिल गई ॥

कैसा बेअरुखा था जीवन कैसी बेबसी,
रूठ गई थी मुझसे कब की हर ख़ुशी ।
मेहर हो गए मेहरबान मिल गए,
साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए ॥

हर जनम में ध्यान अधुरा छोड़ आई है,
पन्ने जैसे जान के हम मोड़ आई हैं ।
साईं में ही गीता कुरान मिल गए,
साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए ॥

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