Tuesday, April 17, 2012

ईश्वरीय विधान है कि सबमें एक ही चैतन्य है और एक ही में सब है। औरों के स्वरूप में दिखने वाले लोग आपके ही स्वरूप हैं। उनके साथ आत्मीयता से व्यवहार करते हैं तो आपकी उन्नति होती है। शोषण की बुद्धि से व्यवहार करते हैं तो आपकी अवनति होती है। दिखने में भले ही धन, सत्ता, वैभव पाकर आप उन्नत दिखें, सचमुच में भीतर की शांति, निर्भयता, आनन्द, सहजता आदि दैवी गुण क्षीण होने लगेंगे। देर-सबेर ईश्वरीय विधान आपको शोषण, कपट आदि दोषों से दूर करने के लिए सजा देकर शुद्ध करेगा। अतः ईश्वरीय विधान की सजा मिलने से पहले ही सजग हो जाओ।

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