Saturday, April 17, 2010

ईर्ष्या, घृणा, तिरस्कार, भय, कुशंका आदि कुभावों से जीवन-शक्ति क्षीण होती है। दिव्य प्रेम, श्रद्धा, विश्वास, हिम्मत और कृतज्ञता जैसे भावों से जीवन-शक्ति पुष्ट होती है। किसी प्रश्न के उत्तर में हाँ कहने के लिए जैसे सिर को आगे पीछे हिलाते हैं वैसे सिर को हिलाने से जीवन-शक्ति का विकास होता है। नकारात्मक उत्तर में सिर को दायाँ, बायाँ घुमाते हैं वैसे सिर को घुमाने से जीवन शक्ति कम होती है।

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