Sunday, April 11, 2010

हे नाथ! यदि तुम स्वयं ही न आ जाओ तो मैं तुम्हें कहाँ से पाऊँ? कौन लाकर देगा मुझे तुम्हारा प्रतीक? मैं बालिका हूँ। मेरी बात कौन सुनेगा? मेरी शक्ति कितनी? तुम न आओ तो मैं क्या कर सकूँगी?मुझे बताओ मैं क्या करुँ,क्या करुँ? क्यों तुम मुझे इतने अच्छे लगते हो?क्यों? क्यों?........क्यों तुम इतने अच्छे लगते हो?

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