Sunday, April 11, 2010

जो भजन,ध्यान आदि साधन करके मुक्ति पाते हैं वे परिश्रम करके पेट भरनेवालों के समान हैं। और जो भगवान् के देने पर भी मुक्तिको ग्रहण न करके सबका कल्याण होने के लिये भगवान् के गुण,प्रेम,तत्व,रहस्य और प्रभावयुक्त भगवान् के सिद्दान्तका संसारमें प्रचार करते हैं,वे सबको खिलाकर भोजन करनेवालों के समान हैं।

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