Saturday, April 17, 2010

वेद को सागर की तथा ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों को मेघ की उपमा दी गई है। सागर के पानी से चाय नहीं बन सकती, खिचड़ी नहीं पक सकती, दवाईयों में वह काम नहीं आता, उसे पी नहीं सकते। वही सागर का खास पानी सूर्य की किरणों से वाष्पीभूत होकर ऊपर उठ जाता है, मेघ बनकर बरसता है तो वह पानी मधुर बन जाता है। फिर वह सब कामों मे...ं आता है। स्वाती नक्षत्र में सीप में पड़कर मोती बन जाता है।See More

No comments:

Post a Comment