Wednesday, April 7, 2010
यदि मेरा मन व्याकुल है, हमेशा क्रोध, बैर, दुर्भावना और द्वेष से भरा रहता है, तो मैं विश्व को शांति कैसे प्रदान कर सकता हूँ? ऐसा कर ही नहीं सकता क्योंकि स्वयं मुझमें शांति नहीं है। इसलिए संतों और प्रबुद्धों ने कहा- 'शांति अपने भीतर खोजो।' स्वयं अपने भीतर निरीक्षण करके देखना है कि क्या सचमुच मुझमें शांति है।
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