Sunday, April 18, 2010

आप के चित्त मे केवल संसार की चिंता नही , उस चैत्यन्य का चिंतन भी है..- आप के अन्दर केवल काम, क्रोध, मोह , अंहकार कि गंदगी नही प्रभुप्रिती का सुवास भी छुपा है..- आप के अन्दर केवल शोक , विषाद , दुर्बलता की पराधीनता ही नही.. आप के अन्दर आनंद और माधुर्य बिखेरने की स्वाधीनता भी है… bapuji

संगी साथी चल गए सारे, कोई ना दिज्यो साथ lकहे तुलसी साथ न छोडे तेरा एक रघुनाथ.. ll..संगी साथी सब छुट जाते , साथ नही आते…मरने के बाद भी साथ नही छोड़ते वो है आप के रघुनाथ …आप का आत्मा…

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