हिलनेवाली, मिटनेवाली कुर्सियों के लिए छटपटाना एक सामान्य बात है, जबकि परमात्म प्राप्ति के लिए छटपटाकर अचल आत्मदेव में स्थित होना निराली ही बात है।यह बुद्धिमानों का काम है।
चन्द्रमा में अमृत बरसाने की सत्ता जहाँ से आती है वही चैतन्य तुम्हारे दिल को और तुम्हारी नस-नाड़ियों को, तुम्हारी आँखों को और मन-बुद्धि को स्फुरणा और शक्ति देता है। जो चैतन्य सत्ता सूर्य में प्रकाश और प्रभाव भरती है, चन्द्रमा में चाँदनी भरती है वही चैतन्य सत्ता तुम्हारे हाड़-मांस के शरीर में भी चेतना, प्रेम और आनन्द की धारा बहाती है।
Monday, April 19, 2010
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