Sunday, April 11, 2010

जबतक तुम यह सोचते रहोगे कि अमुक परिस्थिति आनेपर भगवान् का भजन करुँगा,तबतक भजन बनेगा ही नहीं, परिस्थिति की कल्पना बदलती रहेगी;अतएव तुम जिस परिस्थिति में हो,उसी में भजन आरम्भ कर दो।भजन होने लगनेपर परिस्थिति आप ही अनुकूल हो जायगी।

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