Wednesday, April 7, 2010

जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, जिस समय समाज में खिंचाव, तनाव व विषयों के भोग का आकर्षण जीव को अपनी महिमा से गिराते हैं, उस समय प्रेमाभक्ति का दान करने वाले तथा जीवन में कदम कदम पर आनंद बिखेरने वाले महापुरूष का अवतार होता है।

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