Monday, March 29, 2010

पूरे मन से, सम्पूर्ण बुद्धि से भगवान से जुड़ जाओ । इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि भगवान में ही लग जाय । एकमात्र भगवान ही रह जायें, अन्य सब गुम हो जाय । ऐसा कर सको तो जीवन सार्थक है । ऐसा नहीं होगा तो मानव जीवन केवल व्यर्थ ही नहीं गया अपित अनर्थ हो गया । अतः जब तक श्वास चल रहा है, शरीर स्वस्थ है तब तक सुगमता से इस साधन में लग जाओ ।

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