Tuesday, March 23, 2010

’हे मेरे नाथ! हे मेरे प्रभु! इस पुकार में शब्द तो बाहरकी वाणीसे,क्रियासे निकलते हैं, पर आह भीतरसे ,स्वयं से निकलती है।भीतरसे जो आवाज निकलती है,उसमें एक ताकत होती है।वह ताकत उसकी होती है,जिसको वह पुकारता है।

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