भगवान् ने अपनी कृपा से हमें मनुष्य शरीर दिया है, गीता,रामायण-जैसे ग्रंथो से परिचय कराया है।सत्संग की बातों से परिचय कराया है। हमने उनसे कब कहा था कि आप ऐसा करो?अत: जिसने इतना दिया है,वह आगे भी देगा।नहीं देगा तो लाज किसकी जायेगी? इसलिये हम चिन्ता क्यों करें?
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