Wednesday, March 31, 2010

अनित्यानि शरीराणि बैभवो नैव शाश्वतः। नित्यं संन्निहितो मृत्युः कर्त्तव्यो धर्मसंग्रहः।। हम जब जन्मे थे उस समय हमारी जो आयु थी वह आज नहीं है। हम जब यहाँ आये तब जो आयु थी वह अभी नहीं है और अभी जो है वह घर जाते तक उतनी ही नहीं रहेगी।शरीर अनित्य है, वैभव शाश्वत नहीं है। शरीर हर रोज मृत्यु के नजदीक जा रहा है। अतः धर्म का संग्रह कर लेना चाहिए।

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