Thursday, March 25, 2010

दूसरेके सुखसे सुखी होनेपर भोगोंकी इच्छा कम हो जाती है,क्योंकि भोगोंमें जो सुख मिलता है,वह सुख साधकको दूसरोंको सुखी देखने पर विशेषतासे मिल जाता है,जिससे सुखभोगकी आवश्यकता नहीं रहती।

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