Thursday, March 18, 2010

है नाथ अब तो

है नाथ अब तो ऐसी दया हो, जीवन निरर्थक जाने न पाये, यह मन न जाने क्या क्या कराये, कुछ बन न पाया अपने बनाये, संसार मे ही आशक्त रह कर दिन रत आपने मतलब की कह कर सुख की लिए लाखो दुःख सहकर ये दिन अभीतक योही बिताये, ऐसा जगादो फिर सोना जावू अपनेको निष्काम प्रमी बनावु, मे आपको चाहू और पावू, संसार का भई रह कुछ न जाये, वह योग्यता दो सत्कर्म करलू अपने ह्रदय मे सदभाव भर लू, नर्तन है साधन भवसिंदु तर लू, ऐसा समई फिर आये न आये, है नाथ मुझे नीरअभिमानी बनादो मे हु तुम्हारी आस लगाये ! है नाथ अब तो ऐसी दया करदो है मेरे गुरुदेव

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