Wednesday, March 24, 2010

शरीर-संसार का अपनापन अपने से न छूट सके तो भगवान् को पुकारो।वे छुड़ा देंगे।व्याकुल होकर, दुखी: होकर भगवान्से कहो कि हे नाथ! शरीर-संसार का मेरापन छूटता नहीं क्या करुँ! तो भगवान्की कृपा से छुट जायगा।

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