Tuesday, March 30, 2010

अन्तर्यामी राम की प्रसन्नता के लिए लोककार्य करो, लोगों से मिलो और विश्रांति लोकेश्वर में पाओ। अपने आत्मा-राम में आराम पाओ। कर्म सुख लेने के लिए नहीं, देने के लिए करो। कर्म मान लेने के लिए नहीं, देने के लिए करो तो तुम्हारा कर्म कर्मयोग, भक्तियोग हो जायेगा।

No comments:

Post a Comment